इन 6 कारणों से आज टीम इंडिया बन सकती है विश्व विजेता
ई दिल्ली. क्रिकेट के सबसे बड़े मुकाबले का कौन होगा विजेता ? भारत या श्रीलंका ? इसका जवाब आज रात मिल जाएगा, लेकिन संकेतों के आधार पर कहें तो ताज भारत के सिर ही सजेगा। इन 6 कारणों से आज वानखेड़े स्टेडियम में धोनी की सेना कर सकती है लंका फतह।
1. वानखेड़े का रिकॉर्ड भारत के पक्ष में
वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए एक दिवसीय मैचों में भारत का रिकॉर्ड बढ़िया है। यहां भारत ने 14 मैच खेले और 8 जीते हैं। यहां भारत और श्रीलंका का दो बार मुकाबला हुआ है। दोनों ने एक-एक बार जीत हासिल की है। भारत ने श्रीलंका को 17 जनवरी 1987 में हराया था, लेकिन 17 मई 1997 में भारत को हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह श्रीलंका को 1993 में वेस्ट इंडीज ने यहां हराया था, जबकि उन्होंने इस विश्व कप में न्यूजीलैंड को यहां हराया है।
2. श्रीलंका के खिलाफ सफल रहे हैं धोनी
महेंद्र सिंह धोनी की श्रीलंका के खिलाफ 31 अक्टूबर 2005 को जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में खेली गई पारी सभी को याद है, जब उन्होंने श्रीलंका को धो दिया था। उन्होंने केवल 145 गेंदों पर 183 रन बनाए। धोनी को 2008 में भारतीय क्रिकेट टीम के श्रीलंका दौरे के समय मैन ऑफ द सीरीज का एवार्ड भी मिला था। इसमें उन्होंने 5 मैचों में कुल 193 रन बनाए। इसके अलावा उन्होंने 3 कैच लिए और 1 स्टंपिंग भी की। धोनी को तीन बार श्रीलंका के खिलाफ मैन ऑफ द मैच के खिताब भी मिले हैं।
इसके मुकाबले श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा का भारत के खिलाफ रिकॉर्ड औसत ही है। भारत के खिलाफ कभी भी उन्हें मैन ऑफ द सीरीज का खिताब नहीं मिला। भारत के खिलाफ वे केवल दो बार मैन ऑफ द मैच बने हैं।
संगकारा पर भारी धोनी की कप्तानी
प्रदर्शन और अनुभव के लिहाज से एक दिवसीय मैचों में कप्तान के रूप में महेंद्र सिंह धोनी संगकारा पर भारी हैं। उन्होंने कुल 93 एक दिवसीय मैचों में कप्तानी की है, जिसमें 52 में भारत जीता है और 34 में हार का सामना करना पड़ा है। धोनी की सफलता का प्रतिशत 59.67 फीसदी रहा।
संगकारा का सफलता का प्रतिशत 58 फीसदी है। उन्होंने 36 मैच खेले हैं, जिसमें 21 जीते हैं और 12 हारे हैं। 3 बिना किसी निर्णय के समाप्त हुए हैं।
3. मददगार पिच
भारतीय टीम की बल्लेबाजी काफी मजबूत है औऱ यह पिच बल्लेबाजों को मदद करेगा। खासतौर पर पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम को इसका लाभ मिलेगा। लेकिन दूसरी पारी में यह हल्का टर्न लेगी। भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह, युवराज सिंह आदि भी इस पिच पर सफल रह सकते हैं। मध्यम तेज गेंदबाजों के लिए पिच में ज्यादा उछाल नहीं है। केवल पहले के कुछ ओवरों में वे इसका लाभ ले सकते हैं।
4. घरेलू मैदान का लाभ
सचिन तेंडुलकर भारत को विश्व कप दिलाने के अपने सपने से केवल एक कदम की दूरी पर हैं। पूरी उम्मीद है कि अपने होम पिच पर वे निश्चित ही कमाल दिखाएंगे। वीरेंद्र सहवाग से भी हमेशा की तरह धमाकेदार शुरुआत की उम्मीद है। गौतम गंभीर फिट हैं, विराट कोहली और सुरेश रैना भी लय में हैं। इस विश्व कप में जहीर खान ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया है और उनमें निरंतरता है। भारतीय खिलाडि़यों को घरेलू पिच पर खेलने का फायदा निश्चित मिलेगा।
5. सितारे भारत के पक्ष में
सितारे कह रहे हैं कि शनिवार को टीम इंडिया ही विश्व चैंपियन का ताज पहनेगी। मैच धनिष्ठा नक्षत्र में शुरू होगा जिसके स्वामी शनि हैं। इस दौरान महादशा में भी शनि में शनि का अंतर रहेगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक इस पूरी सीरीज में शनि भारत के पक्ष में रहा है। शनि की साढ़ेसाती में धोनी ने फाइनल तक का रास्ता तय किया है। यह शनि ही उनको विश्व विजेता बनाएगा।
संगकारा की कुंडली में चंद्र की महादशा में बुध का अंतर चल रहा है। चंद्र एवं बुध परस्पर शत्रु हैं यह उनके लिए नकारात्मक साबित हो सकता है। मैच के दौरान पांच ग्रहों की शनि पर सीधी दृष्टि होगी, जो कन्या राशि में वक्री होकर स्थित है। इससे भी भारत को बल मिलेगा। कप्तान धोनी को भी शनि की साढ़ेसाती का अंतिम ढैय्या चल रहा जो विशेष प्रतिष्ठा तथा नाम देकर जाएगा। साथ ही उन्हें राहु की महादशा भी है, जिसका तोड़ श्रीलंका के पास नही है।
श्रीलंका के कप्तान संगकारा की राशि मेष है तथा चंद्रमा उनकी राशि से बारहवां होने से उन्हें कोई फायदा नहीं होगा। मैच की शुरुआत के समय कर्क लग्न होगी जो भारत का पलड़ा भारी बनाती है। कर्क जो वर्तमान भारत के जन्म के समय की राशि है उस पर स्वराशिगत गुरु की पूर्ण दृष्टि है, जो उसके लिए भाग्यशाली होने के साथ ही विजेता का ताज पहनाने के लिए पर्याप्त है।
6. टीम इंडिया के साथ 60 गुना ज्यादा लोगों की दुआएं
बाकी देशों के प्रशंसकों की बात छोड़ भी दें तो टीम इंडिया के साथ अपने देश के सवा अरब लोगों की दुआएं हैं, जबकि श्रीलंकाई टीम के साथ मात्र 2 करोड़ लोगों की दुआएं (2009 में जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक श्रीलंका की आबादी 20,238,000) हैं।
आपकी राय
क्या आपको लगता है कि धोनी की सेना में लंका फतह करने का दम है? अगर हां तो क्यों और नहीं तो क्यों? बताएं। आप टीम इंडिया को अपनी शुभकामना भी दीजिए...
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1. वानखेड़े का रिकॉर्ड भारत के पक्ष में
वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए एक दिवसीय मैचों में भारत का रिकॉर्ड बढ़िया है। यहां भारत ने 14 मैच खेले और 8 जीते हैं। यहां भारत और श्रीलंका का दो बार मुकाबला हुआ है। दोनों ने एक-एक बार जीत हासिल की है। भारत ने श्रीलंका को 17 जनवरी 1987 में हराया था, लेकिन 17 मई 1997 में भारत को हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह श्रीलंका को 1993 में वेस्ट इंडीज ने यहां हराया था, जबकि उन्होंने इस विश्व कप में न्यूजीलैंड को यहां हराया है।
2. श्रीलंका के खिलाफ सफल रहे हैं धोनी
महेंद्र सिंह धोनी की श्रीलंका के खिलाफ 31 अक्टूबर 2005 को जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में खेली गई पारी सभी को याद है, जब उन्होंने श्रीलंका को धो दिया था। उन्होंने केवल 145 गेंदों पर 183 रन बनाए। धोनी को 2008 में भारतीय क्रिकेट टीम के श्रीलंका दौरे के समय मैन ऑफ द सीरीज का एवार्ड भी मिला था। इसमें उन्होंने 5 मैचों में कुल 193 रन बनाए। इसके अलावा उन्होंने 3 कैच लिए और 1 स्टंपिंग भी की। धोनी को तीन बार श्रीलंका के खिलाफ मैन ऑफ द मैच के खिताब भी मिले हैं।
इसके मुकाबले श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा का भारत के खिलाफ रिकॉर्ड औसत ही है। भारत के खिलाफ कभी भी उन्हें मैन ऑफ द सीरीज का खिताब नहीं मिला। भारत के खिलाफ वे केवल दो बार मैन ऑफ द मैच बने हैं।
संगकारा पर भारी धोनी की कप्तानी
प्रदर्शन और अनुभव के लिहाज से एक दिवसीय मैचों में कप्तान के रूप में महेंद्र सिंह धोनी संगकारा पर भारी हैं। उन्होंने कुल 93 एक दिवसीय मैचों में कप्तानी की है, जिसमें 52 में भारत जीता है और 34 में हार का सामना करना पड़ा है। धोनी की सफलता का प्रतिशत 59.67 फीसदी रहा।
संगकारा का सफलता का प्रतिशत 58 फीसदी है। उन्होंने 36 मैच खेले हैं, जिसमें 21 जीते हैं और 12 हारे हैं। 3 बिना किसी निर्णय के समाप्त हुए हैं।
3. मददगार पिच
भारतीय टीम की बल्लेबाजी काफी मजबूत है औऱ यह पिच बल्लेबाजों को मदद करेगा। खासतौर पर पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम को इसका लाभ मिलेगा। लेकिन दूसरी पारी में यह हल्का टर्न लेगी। भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह, युवराज सिंह आदि भी इस पिच पर सफल रह सकते हैं। मध्यम तेज गेंदबाजों के लिए पिच में ज्यादा उछाल नहीं है। केवल पहले के कुछ ओवरों में वे इसका लाभ ले सकते हैं।
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